Panchayat Season 4 Review: ‘पंचायत सीरीज सीजन 4’ की कहानी वहीं से शुरू होती है जहां पिछला सीजन खत्म हुआ था। इस बार भी कहानी फुलेरा गांव के उसी माहौल में घूमती है, लेकिन अब माहौल और गर्म हो गया है क्योंकि मंजू देवी (नीना गुप्ता) और क्रांति देवी (सुनीता राजवार) आमने-सामने हैं चुनाव को लेकर। दोनों ही एक-दूसरे को हराने के लिए कोई कसर नहीं छोड़तीं।
शुरुआत में ही सचिव जी (जितेंद्र कुमार) पर भूषण (दुर्गेश कुमार) को थप्पड़ मारने का आरोप लग जाता है और उसके खिलाफ FIR भी दर्ज हो जाती है। इससे सचिव जी की पढ़ाई और खासकर CAT रिजल्ट पर असर पड़ सकता है — यानी उसका पूरा करियर खतरे में पड़ सकता है।
जब सचिव जी सुलह के लिए भूषण से माफी मांगने जाता है, तो भूषण उल्टा शर्त रख देता है कि सचिव और प्रधान गुट को उसके और पुराने विधायक चंद्रकिशोर सिंह (पंकज झा) पर गोली चलवाने के आरोप हटाने होंगे। अब मामला और उलझ जाता है।
उधर चुनाव में जीतने के लिए मंजू देवी और क्रांति देवी तरह-तरह के दांव चल रही हैं — कोई गांव वालों को आलू-लौकी बांट रहा है तो कोई सफाई करवाने का ड्रामा कर रहा है। दोनों की कोशिश रहती है कि सामने वाले की योजना को कैसे फेल किया जाए।
प्रधान जी और उनके साथी भूषण के गुट के एक सदस्य चंदू को अपनी टीम में मिलाने की कोशिश करते हैं, जबकि भूषण गुट बदले में प्रधान और विकास (चंदन रॉय) के घर पर छापा डलवाकर उनकी छवि खराब करने की कोशिश करता है।
दोनों पक्षों में टकराव और नोकझोंक चलती रहती है, और गांव का माहौल पूरी तरह से चुनावी रंग में रंगा होता है। अब असली सवाल ये है कि आखिर चुनाव में बाज़ी कौन मारता है? सचिव जी की ज़िंदगी किस दिशा में जाती है? और फुलेरा में किसकी चलती है? ये सब जानने के लिए पूरी सीरीज देखनी पड़ेगी।
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